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लेखनी कहानी -14-Nov-2022 गजल : साजिश ए इश्क

गजल : साजिश ए इश्क 


साजिश ए इश्क में फंसते चले गये 
अपनी बरबादी पर हंसते चले गये 

दिल लगाने का अंजाम बुरा होता है
जानते बूझते ये फंदा कसते चले गये 

इश्क में डूबकर आशिक नहीं उभरे 
रस्म की खातिर हम भी धंसते चले गये 

सुनते हैं , बड़ा नशीला होता है इश्क 
मदिरा ए नैन जाम छलकते चले गये 

दर्दे इश्क में भी गजब सुकून है "हरि"
हंसते हुए ये अफसाना लिखते चले गये 

श्री हरि 
14.11.22 


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9 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 07:30 PM

बहुत ही सुन्दर

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 01:00 AM

धन्यवाद जी

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Shirley Roy

14-Nov-2022 07:08 PM

शानदार

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Nov-2022 11:38 PM

धन्यवाद जी

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